दुज्जोम जिगद्रल येशे दोरजे (1904-1987) न्यिंगमा परंपरा के गुरु थे. उन्होंने Nyingma School of Tibetan Buddhism: Its Fundamentals and History लिखा था. 1960 के दशक की शुरुआत में, तिब्बती बौद्ध शिक्षाओं और तिब्बती संस्कृति की रक्षा के लिए, उन्हें न्यिंगमा वंश के पहले समग्र प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. दुज्जोम रिम्पोचे ने संघरक्षितजी को अनुत्तरतंत्र के महायोग से परिचित कराया था. यह परिचय वज्रसत्व अभिषेक दीक्षा के माध्यम से किया गया था. यह गहन अर्थ का सार : नरक का विनाश करने वाले की एक-मुद्रा का पाठ और साधना में दिया हुआ अभिषेक था. बाद में, रिम्पोचे ने संघरक्षितजी के लिए इस साधना को नरक को चकमा देनेवाले के लिए प्रारंभिक क्रम नामक एक पाठ में संक्षिप्त कर दिया था.
"वह बिल्कुल स्थिर खड़े थे, और मुझे स्पष्ट रूप से यह आभास हुआ कि यह सिर्फ़ उनकी शारीरिक स्थिरता नहीं थी. उनका मन भी बिल्कुल शांत था, मानो हमारी चेतना की सतह को हिला देने वाली विभिन्न हवाएँ उनके अंदर बहना बंद हो गई थीं और वह, वाक्यांश के सबसे गहरे अर्थ में, अपने आप के साथ और दुनिया के साथ शांति में स्थिर थे."
Precious Teachers in The Complete Works of Sangharakshita, vol. 22, p.501
नील वज्रसत्व (नरक-विनाशक) और सहचारिणी
"जब मैंने दुज्जोम रिम्पोचे से वज्रसत्व अभिषेक प्राप्त किया, तो एक बिंदु ऐसा आया जब मुझे निश्चित रूप से लगा कि कुछ उनके पास से मुझ तक पहुंचा है, लेकिन यह कुछ ऐसा नहीं था जिसे शक्ति के संदर्भ में वर्णित किया जा सके... ………मैंने एक पुराने शरणार्थी तिब्बती कलाकार से, जिसकी सिफारिश दुज्जोम रिम्पोचे ने की थी, नरक-विनाशक और तीन संरक्षक देवताओं के छोटे-छोटे चित्र भी बनवा लिए थे."
Precious Teachers in The Complete Works of Sangharakshita, vol.22, pp.502–3
यह वज्रसत्व की छोटी पेंटिंग है जिसे संघरक्षितजी ने बनवाया था. साधना के बारे में लिखते हुए उन्होने बताया कि “जिन्होंने अपनी प्रतिज्ञाएँ और तांत्रिक प्रतिबद्धताएँ तोड़ दी हैं, उन्हें गहरे मानसिक दोषों से शुद्ध करके” वज्रसत्व उन लोगों के लिए नरक का नाश करते हैं, और वह (वज्रसत्व ) “शब्द के सबसे गहरे और सबसे मौलिक अर्थ में शुद्धिकरण से जुड़े हैं.”
Precious Teachers in The Complete Works of Sangharakshita, vol.22, p.504
एकजाति, राहु और वज्रसाधु पाठ
“तीसरे दिन के अंत में…दुज्जोम रिम्पोचे ने हमें एकजाति, राहु और वज्रसाधु के कुल मिलाकर चार अभिषेक दिए, यह न्यिंगमा परंपरा की प्रमुख संरक्षक देवताए है. उन्हें अर्पण कैसे किया जाता है, यह हमें समझाया और उनकी खुद की रचना की गई अर्पण-प्रार्थना की एक प्रति दी. एक तरह से उनका काम अब पूरा हो चुका था; और हमारा काम शुरू हुआ था.”
Precious Teachers in The Complete Works of Sangharakshita, vol.22, p.506
तीन न्यिंगमा रक्षकों से प्रार्थना और अर्पण के इन छंदों का संघरक्षितजी ने अपना अंतिम अनुवाद करने के बाद, उसको चर्मपत्र पर टाइप किया था. यह कई वर्षों तक उनके शयनकक्ष के पुजास्थान में रखा हुआ था.
एकजाति, राहु और वज्रसाधु पाठ टिप्पणियाँ
न्यिंगमा तंत्र और टर्मा की शिक्षाओं को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने की शपथ लिए हुए तीन प्रतिमाओं की पूजा (प्रार्थना) और अर्पण की गाथाए स्वयं दुज्जोम रिम्पोचे ने लिखी हुई थी. वह उन्होने संघरक्षितजी को दी. इन गाथाओं को अंग्रेजी छंद में बदलने पर जब संघरक्षितजी ने काम किया था तब की यह कुछ टिप्पणियाँ हैं.
एकजाति, राहु और वज्रसाधु थांग्का
संघरक्षितजी ने इस थांग्का को एक चित्रकार से बनवाया था, जिसकी सिफारिश दुज्जोम रिम्पोचे ने की थी. यह तिब्बती शैली में बना है जिसे नागतांग के नाम से जाना जाता है. इस शैली में मुख्य रूप से काले रंग की पृष्ठभूमि पर सुनहरी रेखाएँ होती है. यह तिब्बती बौद्ध धर्म के निंग्मा स्कूल की शिक्षाओं के तीन क्रोधी रक्षकों को दर्शाता है: गुप्त मंत्र परंपरा की रक्षक, उग्र देवी एकजाति, बीच में हैं. बालों की एक चोटी ऊपर की ओर उड़ती हुई, एक आँख, एक नुकीला दांत और एक स्तन के साथ, वह परम एकता का प्रतिनिधित्व करती हैं. राहु, जिनका प्रथम चेहरा उनके पेट पर दिखाया गया है, उनके नौ सिर उन्होंने निगले हुए स्वर्गीय क्षेत्रों - चंद्रमा, ग्रह आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके रूपों को वह अपने शरीर पर प्रदर्शित करते हैं. ऐसा लगता है कि वह धर्म का समर्थन करने के लिए आवश्यक सभी सांसारिक शक्तियों को नियंत्रण और सुसंवाद में लाने का प्रतिनिधित्व करते हैं. वज्रपाणि के सेवक दोर्जे लेग्पा यहां हिम-सिंह की पीठ पर सवार होकर धर्म के सभी प्रकट खजानों (टर्मा) की रक्षा करने के लिए अपने बोधिसत्व गुरु की इच्छाओं को पूरा करते हैं.
साधना की वंशावली का दुज्जोम रिम्पोचे का विवरण, हस्ताक्षर सहित
यह दस्तावेज़ दुज्जोम रिम्पोचे द्वारा संघरक्षितजी को दिया गया था और यह उन शक्तियों और शिक्षाओं के अभिषेक (दिक्षा) वंशावली का विवरण है जिनसे ‘नरक को चकमा देनेवाले’ साधना की उत्पत्ति हुई है. रिम्पोचे ने नीचे अपने हस्ताक्षर में अपना नाम लिखा हुआ है.
नर्क की गहराइयों में पहुंचनेवाले वाले शांतिपूर्ण और क्रोधी वज्रसत्व देवताओं के अभिषेक और दिक्षाओं की वंशावली इस प्रकार है: समंतभद्र, वज्रपाणि, कुकुराजा, इंद्रभूति, शाक्यपुत्री, सिंहराजा, उपराजा, गोमादेवी, हुंकारा, बुद्धगुह्य, विमलमित्र, न्याक्लो शोन्नु, सोगपो ल्हापाल, नुबचेन सांग्ये येशे, सु लेक्पे द्रोणमा, से शोन्नु निंगपो, झूतोन खोरलो, ज़ुर्चेन शाक्य जुंगनी, ज़ुर्चुंग शेरब द्रक्पा, लैन पावो, गार्तन, सेतन दोरजे ग्यालत्सेन, लैन दोरजे ऊ, लैन सोनम ग्यालत्सेन, लैन चोकी सेंगे, लैन चोकी सेंगे, लैन सांगये पाल, सोनम गोनपो, समद्रुप दोर्जे, सांगये रिनचेन, गोलो शोन्नु पाल, सोनम ग्यात्सो, सेटोन चेनपो, ग्याहोर दोरजे, पंचेन पेमा वांग्याल, रिग्दज़िन गी टोन, ज़ुर्चेन चुमिक्पा, टेर्डक लिंग्पा, खेंचेन चोपाल, रिनचेन नामग्याल, पेमा तेंदज़िन, ट्रिनले नामग्याल, ट्रिनले चोड्रोन, सांग्ये कुंगा, तेनज़िन नोरबू और पेंडेय उज़र, जिसने यह मुझे दिया.
Jigdral Yeshe Dorje
(Translated: Heidi Nevin 2021)