
उरग्येन हाउस
अधिष्ठान की भुमि में स्थापित है
उर्ग्येन हाउस में दो छोटी ईमारतें है जो अधिष्ठान के मुख्य आवास के साथ जुडी हुई है
संघरक्षितजी के साधारण कमरे अधिष्ठान के निवासी कुल के भवन को विस्तारित कर बनाए गए आवास के भूतल पर स्थित थे.
उसके उपर के मंजिल पर उनके निजी सहायक का कार्यालय, पुरातन वस्तुओं का भंडार और उनके अपने अतिथियों के लिए कमरा था.
अधिष्ठान में संघरक्षितजी का आगमन हुआ उस वक्त उसे कोडिंगटन कोर्ट के नाम से भी जाना जाता था, आते ही उन्होंने अपने नए आवास को उर्ग्येन एनेक्सी कहना शुरु कर दिया.
'उर्ग्येन' (संस्कृत में उड्डियान) उस भूमि का नाम है जिसने महान बोधिसत्व, पद्मसंभव को जन्म दिया. 1962 में, काचू रिम्पोचे ने संघरक्षितजी को यह नाम दिया था, जिन्होंने उन्हें पद्मसंभव अभिषेक भी दीया था. अपने संस्मरण, प्रेशियस टीचर्स में, उन्होंने वर्णन किया है कि कैसे नाम के उपहार ने उन्हें सुझाव दिया कि उनका 'असली घर उड्डियान की रहस्यमय भूमि में था.'
संघरक्षितजी के देहांत के बाद इस कमरे के महत्व को ध्यान में रखते हुए उर्ग्येन संघरक्षित ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने इस एनेक्सी को उर्ग्येन हाउस यह नाम दिया. इसी जगह पर संघरक्षितजी ने अपने अंतिम वर्ष बिताएं.
उर्ग्येन हाउस संघरक्षितजी के जीवन के अंतिम साढ़े पाँच वर्षों का घर था. इस भवन और संघरक्षित पुस्तकालय ने (जो अधिष्ठान में एक अलग भवन में स्थित है) न केवल संघरक्षितजी को रहने का स्थान प्रदान किया, बल्कि उनकी पुस्तकों, पत्रों, कागज़ों, थंग्काओं और कलाकृतियों के संपूर्ण संग्रह को भी सुरक्षित रखा.
अब हमने इस इमारत और संग्रह को लंबे समय के लिए संरक्षित करने की परियोजना का कार्य शुरु कर दिया है.
संघरक्षितजी के लिविंग रूम और बेडरूम को अछूता छोड़ दिया गया है. उर्ग्येन हाउस की विस्तारित लॉबी में बैठने और द कंप्लीट वर्क्स ऑफ संघरक्षित से पढ़ने के लिए जगह, उनके व्यापक संग्रह से एक छाकयाचित्र प्रदर्शनी और कुछ वस्तुओं के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है जिन्हें आप उनके लिविंग रूम, कंजर्वेटरी और बेडरूम में जाते समय देख सकते हैं. पूर्व भोजन कक्ष एक विशेष प्रदर्शनी कक्ष बन गया है. वह कमरा जो कभी धम्मचारी परमार्थ का शयनकक्ष था, अब एक विहार-कक्ष है जहाँ ध्यान करने के लिए आपका स्वागत है. ऊपरी मंजिल में विभिन्न अभिलेखागार, वर्तमान में प्रदर्शित न होने वाली वस्तुओं का संग्रह और एक कार्यालय है.
भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए हमारा दृष्टिकोण दीर्घकालिक होना चाहिए. संघरक्षितजी की निजी सामग्री से जुड़ी कहानियों को एकत्र करने और रिकॉर्ड करने की आवश्यकता है. अभिलेखों को उपयुक्त परिस्थितियों में उचित रूप से प्रबंधित, स्कैन, डुप्लिकेट, व्यवस्थित और संरक्षित करने की आवश्यकता है जहां से उन्हें अनुसंधान, पूछताछ और प्रदर्शनी के लिए उपलब्ध किया जा सके.
इस परियोजना की एक मजबूत और प्रेरित संघ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर अधिष्ठान की दृष्टि के संदर्भ में. भविष्य की पिढियों को प्रेरित करने, शिक्षित करने, प्रबुद्ध करने, समृद्ध करने और प्रसन्न करने के लिए संघरक्षितजी की विरासत तक पहुंचने का यह एक अनूठा अवसर प्रदान करता है.