
संघरक्षित पुस्तकालय
पुस्तकालय अधिष्ठान की भुमि में स्थापित है
त्रिरत्न महासंघ के एक शिक्षक और संस्थापक के रूप में अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए उर्ग्येन संघरक्षितजी का एक पुस्तकालय का सपना था. वह चाहते थे कि इसमें वे सभी किताबें रखी जाएं जो उन्होंने एकत्र की थीं और वे सभी जो उन्होंने लिखी थीं. अब अधिष्ठान की भूमि में यह पुस्तकालय है. अकेले संघरक्षितजी के संग्रह में 11,000 पुस्तकें हैं, साथ ही अन्य सामग्रियों का एक संग्रह भी है जो उनके शिक्षण और संपूर्ण त्रिरत्न आंदोलन के विकास की एक अद्भुत तस्वीर पेश करता है.
संघरक्षितजी की पूरी निजी लाइब्रेरी एक ही स्थान पर होने से इस बात की झलक मिलती है कि किन बोतों ने उनकी सोच को आकार दिया और प्रेरित किया था. साथ ही बौद्ध ग्रंथ, जिनमें में वे सौ पुस्तकें शामिल हैं जो वह भारत से वापस लाए थे और जो उनके सर्वे के लेखन की पृष्ठभूमि बनाते हैं. बौद्ध ग्रंथों के अलावा इनमें दर्शन, मनोविज्ञान, कला इतिहास, जीवनी, साहित्य और बहुत कुछ है. उनके विचारों और लेखन को प्रभावित करनेवाले उन ग्रंथों को प्रत्यक्ष रूप में देख पाना बहुत आकर्षक है. वह पहली सौ पुस्तकें अब घिसी-पिटी और धुंधली हो गई हैं, लेकिन संघरक्षितजी की शिक्षाओं के विकास में उनके महत्व को स्वीकार करने के एक तरीके के रूप में उन्हें पुस्तकालय में गौरवपूर्ण स्थान दिया गया है.
अब हमें संघरक्षितजी की लाइब्रेरी को त्रिरत्न महासंघ के लिए प्रेरणा और सृजकता के स्त्रोत के रूप में जीवंत करने, भविष्य के लिए उनकी विरासत को संरक्षित करने और निर्माण करने का आनंद देनेवाला कार्य करना है.
यह पुस्तकालय त्रिरत्न महासंघ के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, हम संघरक्षितजी की विरासत को संरक्षित और विकसित कर रहे हैं. इसके संसाधन त्रिरत्न महासंघ के सभी सदस्यों के लिए उपलब्ध हैं; अधिष्ठान के अतिथि इस संग्रह का उपयोग कर सकते हैं. बड़े सम्मेलनों के दौरान पुस्तकालय को सामुहिक भेंट का आयोजन किया जाता हैं.
हालांकि, अभी यह कार्य पूरा नहीं हुआ है. हम इस बहुमूल्य संसाधन के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे और अधिक जीवंत बनाने के तरीके खोज रहे हैं. हम इसे लोगों के उपयोग के लिए आसान बनाना चाहते हैं. पहले चरण में, हम अपने डिजिटल कैटलॉग को पूरा करने पर काम कर रहे हैं, जो यहाँ और अधिष्ठान की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे.
धर्मलीला जो लायब्रेरियन है, संग्रह के बारे में प्रश्नों का उत्तर देने और लोगों को उनका उपयोग करने में मदद करने के लिए हमेशा तैय्यार रहती हैं. आप उनसे library@adhisthana.org पर संपर्क कर सकते हैं.
संघरक्षित पुस्तकालय का कार्य संघरक्षित पुस्तकालय के मित्रों (FOSLs) द्वारा सहायता-प्राप्त है. वे व्यावहारिक कार्यों में सहायता करते हैं और त्रिरत्न के अंतर्गत पुस्तकालय की भूमिका के प्रति अपना उत्साह साझा करते हैं. अब हमारे पास लोगों का एक समर्पित मुख्य समूह है जो वर्ष में दो बार अधिष्ठान में शिविरों के लिए आते हैं और पुस्तकालय में कई दिनों तक काम करते हैं. इन लंबे सप्ताहांतों में हम जो काम करते हैं, उनमें यह बातें शामिल हैं:
सूचीकरण और सूची का डिजिटलीकरण
संग्रहों का पुनर्गठन
नए संग्रहों पर मुहर लगाना और लेबल लगाना
संग्रहों को साफ-सुथरा और अच्छी स्थिति में रखना
यह शिविरों के प्रतिभागियों को पुस्तकालय में पूरी तरह से डूबने का अवसर प्रदान करते हैं और इसमें ध्यान, पूजा, कविताओं और पाठों का आदान-प्रदान, साथ ही साथ लोगों को लाभान्वित करने वाले कार्य भी शामिल हैं. वे संघरक्षित पुस्तकालय के विकास और देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
हम हमेशा नए FOSL सदस्यों का स्वागत करते हैं. यदि आप रुचि रखते हैं, तो कृपया अधिक जानकारी के लिए library@adhisthana.org पर धर्मलीला से संपर्क करें.