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चलते हुए बुद्द

वस्तु का स्थान : लिविंग रुम

यह चलते हुए बुद्ध 36 फुट (11 मीटर) ऊंची प्रतिमा का एक मॉडल है जो भारत में नागपुर स्थित त्रिरत्न प्रशिक्षण और सम्मेलन केंद्र नागलोक में है. नागलोक भारत में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार का एक प्रमुख केंद्र बन गया है. यह उन हजारों आगंतुकों के लिए एक तीर्थ स्थल भी है जो प्रसिद्ध चलते हुए बुद्ध को देखने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए हर साल आते हैं. 

बुद्ध को आमतौर पर बैठे हुए दर्शाया जाता है, लेकिन अपने जीवनकाल के दौरान, वर्ष के आठ महीनें वे उत्तर भारत के रास्तों पर चलते रहे, लोगों से मिलते रहे, उनसे बातचीत करते रहे और उन्हें धर्म की शिक्षाएं दी. डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर चलते हिए बुध्द का समर्थन करते थे इसलिए यहां के बुद्ध को दुनिया में घूमते हुए दर्शाया गया है. अपने दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में उठाए हुए वह मिलने वाले सभी लोगों को आत्मविश्वास देते हैं.

इस मूर्ति का निर्माण ताइवान के मास्टर मूर्तिकार वेन क्वेई चान ने किया था. यह मॉडल संघरक्षितजी को धम्मचारी लोकमित्र ने दिया था. लोकमित्र का जन्म लंदन में हुआ था. 1974 में संघरक्षितजी के द्वारा धम्मचारी दिक्षा प्राप्त होने के चार साल बाद वे भारत चले गए. तब से उन्होंने नागलोक बौद्ध केंद्र की स्थापना सहित भारत में त्रिरत्न बौद्ध महासंघ की स्थापना के लिए डॉ. बी.आर. अंबेडकर के अनुयायियों और अन्य बौद्धों  साथ कार्य किया है.

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