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प्लेक्स प्लेअर

वस्तु का स्थान : लिविंग रुम

पढ़ना हमेशा संघरक्षितजी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा. यह एक ऐसी गतिविधि थी जिससे उन्हें बहुत आनंद, प्रेरणा और चिंतन के लिए सामग्री मिलती थी. 2000 के दशक की शुरुआत में उनकी आंखों की रोशनी का ख़राब होना एक गंभीर झटका था. कई प्रयोगों के बाद, जो उन्हें अपनी शेष दृष्टि का उपयोग जारी रखने की अनुमति दे सकते थे, अंततः उन्होंने हार मान ली और ऑडियोबुक्स सुनना शुरू कर दिया. रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड पीपल ने उन्हें यह प्लेक्स सीडी प्लेयर प्रदान किया था, जिस पर वह उनकी डिस्क चला सकते थे. पढ़ नही पाने वाले लोगों के लिए  'कैलिबर' नामक एक मुफ्त ऑडियोबुक लाइब्रेरी भी नियमित रूप से आपूर्ति करती थी. 

अधिष्ठान में साढ़े पांच साल तक रहने के दौरान उन्होंने पी.जी. वुडहाउस की 'जीव्स्' श्रृंखला सहित विभिन्न प्रकार की सामग्री सुनी. जो आमतौर पर उन्हें हंसने पर मजबूर कर देती थी; एंथोनी ट्रोलोप का बारचेस्टर क्रॉनिकल्स; ए.एन. विल्सन की टॉल्स्टॉय की जीवनी, जो उनकी राय बडे़ उंचे दर्जे की थी; और विनीफ्रेड होल्टबी की पुअर कैरोलीन और मंडोआ! मंडोआ!, दोनों ही उन्होंने उत्कृष्ट समझे.

अपने अंतिम वर्षों के दरमियान, संघरक्षितजी ने कहा था कि उन्हें खुद को विज्ञान और अर्थशास्त्र में थोड़ा शिक्षित करना चाहिए, ऐसा वे सोच रहे है. वह तब तिरानवे वर्ष के थे और यह प्रशंसनीय लगता है कि वे अभी भी खुद को शिक्षित करने और अपने ज्ञान की कमियों को भरने के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने स्टीफ़न हॉकिंग की 'ए ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम' से शुरुआत की, जिसे उन्होंने दो बार सुना, और उसके बाद कार्लो रोवेली की 'रियलिटी इज़ नॉट व्हाट इट सीम्स' पढ़ी. धम्मचारी कुलरत्न, जो क्वांटम भौतिकी के विषय पर बड़े पैमाने पर पढ़ रहे थे और शोध कर रहे थे, जब वे अपने जीवन के अंतिम महीनों में संघरक्षितजी से मिले तो दंग रह गए. उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि संघरक्षितजी संपूर्ण विज्ञान में सबसे कठिन विषयों में से एक पर गंभीर और बुद्धिमान बातचीत करने में सक्षम होंगे.

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