जम्यंग खोन्त्से रिम्पोचे का फोटो
वस्तु का स्थान : लिविंग रुम
जम्यंग खेंत्से चोकी लोद्रो (1893-1959) अपने समय के अग्रणी तिब्बती बौद्ध शिक्षकों में से एक थे. वह रिमे आंदोलन के मुख्य प्रतिपादक थे, जिसने विभिन्न तिब्बती बौध्द संप्रदायों को एक एकीकृत परंपरा में लाने का प्रयास किया था.
संघरक्षितजी की मुलाकात 1957 में जम्यंग खेंत्से रिम्पोचे से हुई और उन्होंने उनसे कई अभिषेक प्राप्त किए. रिम्पोचे की आध्यात्मिक प्रतिष्ठा और अभिषेकों के महत्व के कारण, संघरक्षितजी उन्हें अपना 'मूल गुरु' मानते थे. जब से यह तस्वीर खींची गई तब से यह संघरक्षितजी के निजी पूजास्थानों की शोभा बढ़ा रही है. यह उन तस्विरों में से एक है जिन्हें उनकी मुलाकात के अवसर को मनाने के लिए एक स्थानीय फोटोग्राफर से बनवाया गया था.
जैसा कि उनके नाम से संकेत मिलता है, जम्यंग खेंत्से रिम्पोचे को प्रज्ञा के बोधिसत्व, जम्यंग (मांजुघोष) का रूप माना जाता था.
जम्यंग ख्येंत्से को इस सदी का सबसे महान तिब्बती विद्वान, महान आध्यात्मिक अनुभव वाला एक अत्यंत विद्वान व्यक्ति कहा जाता था - और वे किसी तरह से दूरदर्शी भी थे.
इन द रिआल्म आफ लोटस, विंडहॉर्स प्रकाशन, बर्मिंघम 1995, पृष्ठ 29