पद्मसंभव की प्रतिमा
वस्तु का स्थान : लिविंग रुम
यह छवि धम्मचारी चिंतामणि द्वारा चित्रित की गई थी, संभवतः 1970 के दशक में जब लंदन बौद्ध केंद्र बनाया जा रहा था. वह याद करते हैं, ''अतुल ने मुझे लकड़ी का एक टुकड़ा दे दिया होगा'' “एक दिन संघरक्षितजी ने मुझसे कहा कि वह सोने की पत्तों की पृष्ठभूमि पर पद्मसंभव की एक पेंटिंग देखना चाहेंगे, जो इस प्रतिमा में विशेष रूप में चित्रित है. वह प्रतिमा कैसी होनी चाहिए इस के बारे में वे बिल्कुल स्पष्ट थे. गुरु रिम्पोचे को पारंपरिक कमल के बजाय 'गुरु गद्दी' पर बैठाया जाना चाहिए; उनके दाहिने हाथ में हृदय के पास वज्र होना चाहिए; और उनके बाएं हाथ में उनके घुटने पर एक फुरबा हो.''
(फुरबा एक पूजाविधि का खंजर होता है)