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टोर्माओं की टोकरी

वस्तु का स्थान : लिविंग रुम

किताबों की अलमारियों के ऊपर रखी गोल टोकरी में कई सफेद तारा के टोर्मा हैं. मिट्टी से बने ये टोर्मा (पूजा -अर्पण) सफेद तारा अभिषेक के समय के है. यह अभिषेक धार्दो रिम्पोचे ने 1963 के अंत में उनकी पश्चिम की पहली यात्रा से पहले, भारत में संघरक्षितजी को दिया था. 

धार्दो रिम्पोचे भी चाहते थे कि मैं मुक्त रुप से आगे बढ़ता रहूं.  वे विशेष रूप से चाहते थे, कि मुझे अपनी जीवन-शक्ति के लिए किसी भी खतरे से पीछे हटना न पडे. इस प्रकार, कुछ ही समय पहले, उन्होंने मुझे दीर्घायु की स्त्री-बोधिसत्व, श्वेत तारा का अभिषेक दिया था, और उनकी मदद से मैंने उसके उचित साधना पाठ का एक अंग्रेजी संस्करण बनाना शुरू कर दिया था. मैं इंग्लैंड जाने से पहले इस संस्करण का पहला मसौदा पूरा करना चाहता था, और रिम्पोचे और मैंने इस परियोजना पर एक साथ काम करने में कई घंटे बिताते थे. हम शाम को पुराने भूटान पैलेस में रिम्पोचे के क्वार्टर में काम करते थे. यह कार्य करते वक्त कभी-कभी ऐसा लगता था कि कमरे में हम तीन लोग है, और श्वेत तारा मुस्कुराहट के साथ हमारे परिश्रम को देख रही है.

In the Sign of the Golden Wheel, The Complete Works of Sangharakshita, vol. 22, p.562 

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जम्यंग खोन्त्से रिम्पोचे का फोटो