कौंजर्वेटरी में रखे क्रिस्टल
मैंने हमेशा अर्ध-बेशकीमती पत्थरों और उनके रंगों की सरासर चमक का आनंद लिया है और पिछले कुछ वर्षों में मैंने उनका काफी संग्रह कर लिया है. मुझे लगता है कि यह एल्डोअस हक्सले ही थे जिन्होंने सुझाव दिया था कि हम गहनों को उनकी किंमत के कारण नहीं बल्कि वे हमें किसी उच्चतर आदर्श जगत की झलक देते हैं ईस लिए न्हें अनमोल समझते है. निश्चित रूप से बौद्ध, ईसाई और अन्य परंपराओं के कई धर्मग्रंथ और रहस्यमय लेखन, शानदार, रत्न जैसे रंगों के संदर्भों में उच्चतम दुनिया का वर्णन करते हैं.
In the Realm of the Lotus, Windhorse Publications, Birmingham 1995, p.20.
संघरक्षितजी का रॉक क्रिस्टल और अर्ध-बेशकीमती पत्थरों का अधिकांश संग्रह वर्तमान में उर्ग्येन हाउस के संग्रह में संग्रहीत है. हालाँकि, उन्होंने उस संग्रह का कुछ हिस्सा लिविंग रूम और कंज़र्वेटरी में रखा था, वह लगभग हर टुकड़े की उनके पास आने के समय को याद कर सकते थे. किसे कहाँ और कब खरीदा, किसे किसने दिया था, यह सब. रॉक क्रिस्टल के एक या दो टुकड़े उनके 1992 के भारत दौरे के दौरान खरीदे गए थे - वे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध अजंता गुफाओं के प्रवेश द्वार पर एक छोटे से स्टाल पर बिक्री पर थे. अपने जीवन के अंतिम वर्ष में, संघरक्षितजी ने इनमें से कई क्रिस्टल और अर्ध-बेकीमती पत्थरों को उर्ग्येन हाउस में आए कई आगंतुकों को छोटे उपहार के रूप में दिया था.