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मंजुघोष थांग्का

वस्तु का स्थान : लिविंग रुम

मंजुघोष, जो  प्रज्ञा के बोधिसत्व मंजुश्री का एक रूप हे, उसका एक फ़्रेमयुक्त थांग्का लिविंग रूम में डेस्क के ऊपर लटका हुआ है. संघरक्षितजी अपने आस-पास की वस्तुओं की स्थिति चुनने में बहुत सावधानी बरतते थे और यह पेंटिंग कोई अपवाद नहीं है. 

कलिम्पोंग में खरीदे गए  कई अन्य तिब्बती थांग्कों की तरह  यह थांग्का भी खरिदा गया था.  मंजुघोष स्तुति साधना उन चार अभिषेकों  में से एक थी, जो संघरक्षितजी ने 1957 में अपने शिक्षक जम्यांग खेंत्से रिम्पोचे से प्राप्त किए थे और जो जीवन भर उनके लिए बहुत महत्व रखते थे. 

उदाहरण के लिए, जब मैं द थ्री ज्वेल्स लिख रहा था, ऐसे मोड़ पर आ जाता था जहां मुझे कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा है, तो मैं रुक जाता था और मंजुश्री का ध्यान करता था, उससे मुझे बहुत लाभ हुआ करता था. 

In the Realm of the Lotus (The Complete Works of Sangharakshita, vol. 22)

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