पाँच पेस्टल पेंटिंग
'साइकेडेलिक अनुभव मानव रचनात्मकता के स्रोतों को खोलने में मदद करता है या नही, यह मैं नहीं जानता. लेकिन जहाँ तक साहित्यिक कार्य का सवाल है, 1964 में भारत से मेरे मूल प्रस्थान के बाद से 1970 मेरे लिए किसी भी अन्य वर्ष की तुलना में अधिक उत्पादक वर्ष था. मैंने पेंटिंग और रंगीन फोटोग्राफी भी शुरू की...
'रंगीन फोटोग्राफी और पेंटिंग शुरू करने के मेरे कारण, पहले, सौंदर्यबोध से प्रेरित नहीं थे. वे व्यावहारिक थे. रंगीन फोटोग्राफी के मामले में, मैं बस इतना करना चाहता था कि येल की कुछ तस्वीरें खींचूँ, जिससे इंग्लैंड में मेरे दोस्तों को यह पता चल सके कि यह जगह कैसी दिखती है. टेरी की याशिका-मैट अभी भी एक दराज में पड़ी थी, उसकी मृत्यु के बाद से इस्तेमाल नहीं की गई थी, इसलिए जब मैं ईस्टर शिविर के बाद अमेरिका लौटा तो मैं इसे अपने साथ ले गया. परिणाम मेरी अपेक्षा से इतने बेहतर थे कि मेरी रुचि जागृत हुई और मुझे इस माध्यम को अपने लिए तलाशने के लिए प्रोत्साहन मिला. पेंटिंग, या यूं कहें कि रंगीन चित्रांकन, मैंने ग्रीष्मकालीन शिविर में शुरू किया... शिविर के कुछ दिनों बाद हम कॉर्नवाल में दो सप्ताह की छुट्टी पर चले गए... हमने रंगीन चित्रों पर काम करने के अलावा, कुछ हद तक रंगीन फोटोग्राफी करने में भी काफी समय लगाया.’
Sangharakshita, 1970 – A Retrospect, (CW23), pp.469-470