इंग्लिश संघ ट्रस्ट से पत्र 1/11/1966
कलिम्पोंग पहुँचने पर संघरक्षितजी ने इंग्लिश संघ ट्रस्ट के एक निदेशक जॉर्ज गॉलस्टोन का पत्र खोला.
‘जब मैंने पत्र पढ़कर समाप्त किया, मैंने टेरी से पूछा, “क्या आप जानते हैं इसका क्या मतलब है?” “इसका मतलब है एक नया बौद्ध आंदोलन !” शब्द मेरे होठों से अनायास ही फूट पड़े. ऐसा लगा जैसे ट्रस्ट का पत्र, बिजली की चमक की तरह आया हो, जिसने अचानक उन संभावनाओं को उजागर कर दिया जो अब तक अंधेरे में डूबी हुई थीं, या केवल धुंधली दिखाई दे रही थीं. हालाँकि मुझे लंबे समय से लग रहा था कि ब्रिटेन में बौद्ध आंदोलन को एक नए प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है … मैंने निश्चित रूप से कभी भी इस संभावना पर विचार नहीं किया था कि मैं एक नया बौद्ध आंदोलन शुरू करने जैसा क्रांतिकारी कदम उठाऊँ, चाहे वह ब्रिटेन में हो या कहीं और. लेकिन अब मुझे लगा कि एक नए बौद्ध आंदोलन की वास्तव में जरूरत थी, और ट्रस्ट के पत्र ने इसे शुरू करने का रास्ता खोल दिया था.’
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), pp.376-7