संघरक्षितजी का अंग्रेजी संघ ट्रस्ट को पत्र

'पहले मुझे लगा था कि मैंने गाॅलस्टोन को विस्तार से उत्तर देना चाहिए, पहली बार पत्र पढ़ने पर जो बातें मेरे ध्यान में आई थी उन पर लिखना चाहिए. लेकिन इस तरह के कई असफल प्रयासों के बाद मुझे एहसास हुआ कि उन आरोपों का खंडन करने की कोशिश करना जो सद्भावना से नहीं लगाए गए थे, और जिनमें मैं पहले से ही दोषी पाया गया था, वास्तव में समय की बर्बादी है. इसलिए मैंने उन्हें एक छोटा पत्र लिखा, लेकिन इससे पहले मैंने धरदो रिम्पोचे और योगी चेन (काचू रिम्पोछे से बाद में परामर्श किया गया), साथ ही काजी और काजिनी से भी परामर्श किया. वे इस बात पर सहमत थे कि मुझे योजना के अनुसार इंग्लैंड लौट जाना चाहिए, और वहाँ धर्म के लिए काम करना जारी रखना चाहिए, हालाँकि शायद केवल काजिनी ही समझ सकती थी कि मुझे किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.'

Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.385

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