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स्टैफोर्डशायर में बिडुल्फ ओल्ड हॉल को हाल ही में इंग्लिश संघ ट्रस्ट ने खरीदा था. 1965 के दौरान संघरक्षितजी ने शिविर का नेतृत्व करने के लिए कई बार वहां का दौरा किया था. एक शिविरार्थि ने बताया कि कैसे 'समूह के सदस्यों के बीच और साथ ही शिक्षक और शिष्यों के बीच समझ और मित्रता की एक निरंतर दोतरफा धारा थी.' ट्रस्ट में चल रहे सत्ता संघर्ष के यह बिल्कुल विपरीत था.

'7.00 बजे उठा. आज भी ध्यान सत्र आदि की संख्या समान थी, लेकिन लगभग पूरे समय मौन रहा. पूरा दिन बहुत शांतिपूर्ण रहा. मौसम अभी भी सुस्त और थोड़ा ठंडा था. शाम को मैंगलो ने थोड़ा परेशान किया, जो लंदन से लौटा था, और वहां सुनी हुई गपशप और चुगली से भरा हुआ था. कहा कि वेन.आर. ने उन्हें मुझे "बाहर निकालने" में सहयोग करने के लिए कहा था और इसके अलावा, उन्होंने कहा था कि अल्फ को संघ ट्रस्ट का सदस्य नहीं होना चाहिए क्योंकि वह महायानी बौध्द है! निर्णय लिया कि इस अशिष्ट हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.’

डायरी गुरुवार 8 जुलाई 1965

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