चीनी क्लोइजोन पूजा अर्पण पात्र
संघरक्षितजी की डायरी प्रविष्टियों से पता चलता है कि वे अक्सर अपने दिन की शुरुआत 'पूजा' से करते थे. प्रदर्शन पर रखे गए दो पूजा के कटोरे सात के एक सेट से हैं, जिसे वे कलिम्पोंग में अपने विहार से इंग्लैंड लाए थे.
'ग्रामोफोन सुना - विवाल्डी, एल्गर आदि. विक्टर ने कुछ पत्र लिखे और टाइप किए, जबकि मैं बोधिचर्यावतार के पहले चार अध्यायों को पढ़ रहा था, जिन्हें श्रीमती बेनेट ने मेरे लिए सप्तांग पूजा के लिए गाथाओं का चयन करते हुए फिर से टाइप किया था.'
डायरी सोमवार 3 मई 1965
'दोपहर में विक्टर को पी.ओ. भेजा. फिर उसके फ्लैट पर गया. कुछ रिकॉर्ड सुने, इस बार वैगनर, और फिर सप्तांग पूजा से संबंधित गाथाओं को उचित क्रम में लिखा, जबकि विक्टर ने कुछ पत्र टाइप किए. उदास बारिश वाली दोपहर. टोबी की किताब "ज़ेन कम्स वेस्ट" पर नज़र डाली.’
डायरी मंगलवार 4 मई 1965
श्रीमती बेनेट द्वारा बोधिचर्यावतार के अनुवाद से चुने गए छंद आज भी त्रिरत्न में सप्तांग पूजा में पढ़े जाते हैं.