सफ़ेद चीनी मिट्टी की ग्वान्यिन
‘चाय की दुकान में एक कप चाय पी. फिर फॉयल्स और वॉटकिंस गए जबकि विक्टर विक्टोरिया गया था. पी. डब्ल्यू. मार्टिन की “एक्सपेरिमेंट इन डेप्थ” खरीदी. विक्टर आया. एक नई चीनी दुकान में देखा और दो गिनी में चीनी मिट्टी की कुआन यिन खरीदी. फिर जापानी दुकान से गुज़रा तो अंदर देखा. पाया कि मालिक कोई ऐसा व्यक्ति था जो हमारे व्याख्यानों में आता है. दूसरी चाय की दुकान में चाय पी.’
डायरी सोमवार 19 जुलाई 1965
मालिक एमिल बोइन था और जापानी दुकान का तहखाना जल्द ही ब्रिटिश बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला था.
‘चूंकि यह बुढ़ापे की अपरिहार्य गिरावट की शुरुआत को चिह्नित करता है, किसी का चालीसवाँ जन्मदिन आम तौर पर गंभीर चिंतन का समय माना जाता है, लेकिन मेरे मामले में मुझे याद नहीं है कि सालगिरह के संबंध में कोई विशेष रूप से गंभीर विचार मेरे मन में आया हो. मेरी डायरी में निश्चित रूप से ऐसे कोई विचार दर्ज नहीं हैं. चूंकि मुझे अपनी मां को देखे हुए एक साल हो गया था, इसलिए मैं वास्तविक तिथि से दो दिन पहले रेले चला गया, ताकि हम साथ में थोड़ा और समय बिता सकें. वह मुझे देखकर बहुत खुश हुई, मैंने उसे वह सफेद चीनी मिट्टी का गुआनिन दिया जो मैंने अपने 'शरीर से बाहर' जाने के अनुभव के दिन खरीदा था, और हमने बाकी दिन बहुत शांति से बिताया, दोपहर में टहलने गए और शाम को टेलीविजन देखा - पहली बार मैंने टेलीविजन देखा था.'
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.147