शांतिपूर्ण सफेद डाकिनी थंग्का
जगह: बेडरूम
बाद में, जब संघरक्षितजी वापस पश्चिम में रहने लगे, तो त्रिरत्न बौद्ध संघ के कई सदस्य उनके गुरु, चात्रल (चात्रुल) रिम्पोचे (1913-2015) से मिलने जाते थे. ऐसे मौके पर वे उनको वंदन करते और उर्ग्येन संघरक्षितजी की तरफ से कोई संदेश या भेंट देते थे. अक्सर रिम्पोचे एक सफेद दुपट्टा वापस भेजते थे. एक बार उन्होंने कुछ दवा की गोलियां भी भेजीं थी जिन पर उन्होंने आशीर्वाद दिया था और साथ में यह शांतिपूर्ण सफेद डाकिनी का थंग्का भी भेजा था, जो संघरक्षितजी के एक और गुरु दुज्जोम रिम्पोचे (1904-1987) की शिक्षाओं में बहुत महत्वपूर्ण है.