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मैक्सिकन सिर

वस्तु का स्थान: शयनकक्ष

बढ़ती उम्र के साथ, संघरक्षितजी को हमेशा इस बात का एहसास रहता था कि मृत्यु कभी भी आ सकती है. मेक्सिको के दोस्तों ने उन्हें हाथ से रंगाए हुए कई (कृत्रिम) खोपडिय़ां दी थी. संघरक्षितजी ने उनमें से एक को अपने बिस्तर के अंत में किताबों की अलमारी के ऊपर रख दिया था. यह एक मेमेंटो मोरी था, जो मृत्यु की अनिवार्यता की याद दिलाता था. यह मेक्सिको में उनकी रुचि को भी दर्शाता है, जहाँ वे हमेशा से जाना चाहते थे. वहाँ अब कई त्रिरत्न बौद्ध केंद्र हैं.

रात में सोने के पहले देखी हुई लगभग आखिरी चीज़ वह सफ़ेद आकृति, वह सफ़ेद सिर, और मुझे पता है कि मैं सो तो जाऊँगा, और शायद कल की सुबह उठ न पाऊँ.  कुल मिलाकर मेरा जीवन अच्छा रहा है. उतार-चढ़ाव आए हैं, कठिनाइयाँ आईं हैं, लेकिन निश्चित रूप से, अपार आशीर्वाद भी मिले हैं - धर्म का आशीर्वाद, मित्रता का आशीर्वाद, रचनात्मकता का आशीर्वाद. इसलिए मुझे लगता है कि जब मेरे विदा होने का समय आएगा, तो मेरे पास शिकायत का कोई कारण नहीं होगा.

Nine Decades – A Life in Objects

https://thebuddhistcentre.com/stories/decades/2005-2015/

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