संपूर्ण साहित्य - आधे से ज़्यादा तैय्यार है

संघरक्षितजी के संपूर्ण साहित्य पर काम करना अब अलग है, क्योंकि अब वे हमारे साथ नहीं हैं, फिर भी यह एक सहयोग की तरह लगता है; वे इस काम में गहराई से शामिल थे, और उनके साथ मेरी आखिरी बातचीत ज़्यादातर इसी बारे में थी. कुछ विशिष्ट सवाल थे जो मैं अब पूछना चाहती थी, लेकिन सामान्य दृष्टिकोण स्पष्ट था, और मुझे पता था कि इसे पूरा करने के लिए वे हम पर भरोसा करते है.

हाल के महीनों में जब मैंने संघरक्षितजी की कविताओं और लघुकथाओं के खंड पर काम किया है, तो मुझे लगभग सहज तरीके से समझ में आ गया है कि कोई व्यक्ति अपने शब्दों के ज़रिए कैसे जीवित रह सकता है. उन्होंने एक बार कहा था (माई रिलेशन टू द ऑर्डर में): 'मेरी कविता में ... मै बड़ी मात्रा में हूँ, शायद मेरे कुछ गद्य लेखन से ज़्यादा, कम से कम कुछ मामलों में. जब आप मेरी कविता पढ़ते हैं तो आप न केवल मेरे संपर्क में होते हैं बल्कि एक विशेष तरह से मेरे संपर्क में होते हैं.’ कविताओं में डूबे कई घंटे बिताने के दौरान मुझे ऐसा ही महसूस हुआ है – यह वास्तव में ऐसा है जैसे वह अपने शब्दों के माध्यम से मौजूद हैं – और मैं उन सभी लोगों को इस खंड को पढने की शिफारिश करुंगी जो उनके मन की प्रकृति और विशेष रूप से उनके दिल की भावनाओं को अधिक गहराई से जानना चाहते हैं.

संघरक्षितजी से एक बहुत ही अलग तरीके से मिलते हुए, मैं वॉल्यूम 14 (द इटरनल लिगेसी एंड विजडम बियॉन्ड वर्ड्स) पर भी काम कर रही हूँ, जो बौद्ध परंपरा के शब्दों और उनसे परे की एक रोशन करने वाला और दिल को छू लेने वाला स्पष्टिकरण है. 

और इस श्रृंखला में अपने अंतिम और बहुमूल्य योगदान में, कल्याणप्रभा भंतेजी के संस्मरण मूविंग अगेंस्ट द स्ट्रीम पर काम कर रही हैं. यह, मेरे द्वारा संपादित किए जा रहे दो खंडों के साथ, अप्रैल 2020 में प्रकाशित होगा, तब तक हम आधे से ज़्यादा काम कर चुके होंगे - 15 खंड प्रकाशित हो चुके हैं, 12 और बाकी हैं. 

संपूर्ण साहित्य परियोजना को स्वैच्छिक रूप से काम करने वाले कई लोगों के प्रेमपूर्ण श्रम से बहुत लाभ मिल रहा है - उनका बहुत-बहुत धन्यवाद, और कॉपी-एडिटिंग और प्रूफ़रीडिंग के लिए शांतवीर और कल्याणश्री की विशेष रूप से प्रशंसा और आभार.

Dharmacharini Vidyadevi

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‘लोगों’ को इतिहास की जरूरत होती है