लामा गोविंदा का पत्र 3/4/1968 ‘…मैं आपकी इस पुस्तक से बेहद खुश हूँ! इसने मेरी सभी उम्मीदों को पार कर दिया है…’ Slide 1 Slide 1 (current slide) Slide 2 Slide 2 (current slide)