तांबे की पट्टिका
‘चंबा लामा की दुकान में और भी तस्वीरें देखीं. करकू के यहां दोपहर का खाना खाया. वापस चंबा लामा की दुकान पर पहुंचे. हमें उनके गोदाम में ले गए. तस्वीरों का अंतिम चयन किया. घिसी हुई तांबे की पट्टिकाएँ भी खरीदी.’
डायरी शनिवार 21 जनवरी 1967