‘द बुद्धिस्ट’ अक्टूबर 1966
‘मुझे यह कहना मुश्किल लगता है कि मैंने कब तय किया कि मेरा भविष्य भारत में ना होकर पश्चिम में है, जबकि अब भारत में ही मेरा भविष्य है ऐसा मै सोच रहा था. शायद यह किसी खास समय पर लिए गए निर्णय का सवाल नहीं था, बल्कि एक अहसास था जो मुझे धीरे-धीरे समझ में आया, जब मैं हैम्पस्टेड बौद्ध विहार में एक साल या उससे ज़्यादा समय तक रहा था... मैंने बढ़ती स्पष्टता के साथ देखा कि कम से कम वर्तमान में, मैं भारत की तुलना में इंग्लैंड में ‘बौद्ध धर्म की भलाई के लिए काम’ ज़्यादा प्रभावी ढंग से कर सकता हूँ. इसलिए जब टेरी और मैं ग्रीस के लिए रवाना हुए, तब तक मैंने तय कर लिया था कि मैं अपने दोस्तों और शिक्षकों से विदाई लेने और उन्हें अपनी योजनाएँ बताने के लिए ही भारत लौटूँगा. मैं सितंबर के मध्य में निकलूँगा और चार महीने के लिए दूर रहूँगा. टेरी मेरे साथ होगा और हम हवाई जहाज़ से जाएँगे.’
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.325