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‘… बहुत कुछ हुआ था. आखिर, लैंकेस्टर ग्रोव में बड़े, चमकीले फ्लैट में रहने के लिए चले जाने के बाद, साल के अंत में टेरी ने अपनी नौकरी छोड़ दी. यहाँ अब हम ज़्यादातर समय साथ में बिताते थे. जैसा हमने पहले तय किया था, टेरी अपना सुबह का समय अध्ययन और ध्यान में दे पा रहा था. उसे अवसाद के मूड से बाहर निकालने या उसकी अनुपस्थिति के लिए बहाने बनाने में समय बर्बाद नहीं करना पड़ता था, हमारी दोस्ती फिर से पनपी, और हम एक ऐसी दिनचर्या में आ गए जो बिना किसी रुकावट के, अप्रैल आने तक और उसके साथ बिडुल्फ़ में ईस्टर के ध्यान शिविर तक चलती रही. उन सुकून के महीनों के दरमियान, मेरा समय आमतौर पर, विहार और फ्लैट में, बाहरी गतिविधियां और बीच-बीच लिए अवकाशों में, चिंतन और गहन संपर्कों में बँटा हुआ था. दूसरे शब्दों में, यह उन दो स्थानों के बीच विभाजित था जो क्रमशः सार्वजनिक और निजी - निम्न और उच्च. यह दोंनों जगहें मेरे सपनों के विहारों या आश्रमों का प्रतीक बन गई थी.’

Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), pp.218-19

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11. बौद्ध अप्रैल 1966

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13. मध्यम प्रारूप माउंटेड ट्रांसपेरेंसी