बौद्ध अप्रैल 1966
‘दी बुध्दिस्ट’ बुध्दिस्ट संघ एसोसिएशन की पत्रिका थी. उसके अप्रैल 1966 के संस्करण में संघरक्षितजी के साहित्यिक कार्यों और उनके उस वक्त के व्याख्यानों का विवरण है.
‘…मेरा काम इतना बढ़ गया था कि मेरे लिए पहले से ज़्यादा कुछ करना मुश्किल था… विहार और बौद्ध समाज में मेरे सभी नियमित व्याख्यानों और कक्षाओं के अलावा, और साइकिक साइंस कॉलेज और अन्य जगहों पर मेरे व्याख्यानों के अलावा, मुझे “द बुद्धिस्ट” का संपादन और निर्माण करना था, प्रांतीय समूहों का दौरा करना था, पत्राचार करना था, आगंतुकों का स्वागत करना था, व्यक्तिगत साक्षात्कार देने थे, और हमेशा बजनेवाले फोन का जवाब देना था. बेशक, विहार को भी चलाना था, जिसमें पुजास्थान और बैठक कक्ष की देखभाल और खरीदारी, खाना पकाने और सफाई जैसी सांसारिक चीजों की व्यवस्था करना शामिल था.’
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.165
‘एक से अधिक बार मैंने सोचा कि क्या मुझे हैम्पस्टेड विहार और बुध्दिस्ट सोसायटी की परिधि के बाहर व्याख्यान देना और कक्षाएं आयोजित करना शुरू नहीं करना चाहिए, हालांकि अपनी मौजूदा गतिविधियों और जिम्मेदारियों को त्यागे बिना, और यहां तक कि ऐसा करने की व्यवहार्यता पर भी चर्चा की... एक और बौद्ध संगठन शुरू करने का कोई सवाल ही नहीं था. हमारे पास पहले से ही दो संस्थाएं थीं, बुध्दिस्ट सोसायटी और संघ एसोसिएशन, और किसी भी मामले में, क्या मैं इंग्लैंड में आने के बाद से ही सोसायटी और एसोसिएशन को एक साथ लाने की कोशिश नहीं कर रहा था, और क्या इस संबंध में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी नहीं था?’
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.200