पासपोर्ट

‘अगर मैं उस समय डायरी लिख रहा होता, तो शायद उस दिन की मेरी प्रविष्टि कुछ इस तरह होती: “बुधवार 12 अगस्त 1964. स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.00 बजे हीथ्रो पहुंचा. बारिश हो रही थी. आनंद बोधि और श्रीमती रऊफ से मुलाकात हुई और हम्पस्टेड बौद्ध विहार ले जाया गया”.’

Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.5

सालों पहले जब वे सभी सांसारिक बंधनों से ‘दूर’ चले गए थे और एक भटकते हुए तपस्वी का जीवन अपना लिया था, तब उन्होंने अपने सभी पहचान पत्र नष्ट कर दिए थे, संघरक्षित को एक नए पासपोर्ट की आवश्यकता थी.

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3. डायरी प्रविष्टि 1 जनवरी 1965