सकुरा साइनबोर्ड
वस्तु का स्थान: उर्ग्येन हाउस प्रवेश कक्ष
सकुरा, मध्य लंदन के मॉनमाउथ स्ट्रीट स्थित एक दुकान का नाम था. वहाँ जापानी कलाकृतियाँ बेची जाती थीं. इसके मालिक, एमिल बोइन, संघरक्षित के मित्र थे, जिन्होंने हैम्पस्टेड बौद्ध विहार में उनके व्याख्यानों में भाग लिया था. 1967 के वसंत में, जब संघरक्षित भारत की विदाई यात्रा से इंग्लैंड लौटे और यह निर्णय लिया कि 'एक नए बौद्ध आंदोलन' की आवश्यकता है, तो उन्हें एक ऐसी जगह की आवश्यकता थी जहाँ वे कक्षाएँ आयोजित कर सकें. एमिल ने अपनी दुकान का तहखाना उन्हें देने में खुशी-खुशी मदद की. वहाँ नियमित रूप से ध्यान और बौद्ध धम्म की कक्षाएँ आयोजित की जाती थीं और 7 अप्रैल 1968 को पश्चिमी (अब त्रिरत्न) बौद्ध संघ के प्रथम सदस्यों की निजी दीक्षा विधि भी यहीं किया गया था. यहीं पर संघरक्षित द्वारा रचित और आज भी त्रिरत्न में पढ़ा जाने वाला समर्पण समारोह पहली बार सुनाया गया था, जो उस तहखाने को जिसे 'त्रिरत्न ध्यान केंद्र और पूजास्थान' कहा जाता था, समर्पित किया गया था.
देखें: Nine Decades: A Life in Objects (संघरक्षित के साथ साक्षात्कार)
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