श्रद्धा से हाथ जोड़े
कविता और छंद के प्रति संघरक्षितजी को आजीवन प्रेम था. बुद्ध के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा अक्सर उनकी अपनी कविताओं में व्यक्त होती थी. यह कार्यक्रम भक्ति के महत्व पर भंते के विचारों को प्रस्तुत करता है, चाहे वह लेखन के माध्यम से, पूजास्थान को सजाने, पूजा या अन्य तरीकों से व्यक्त की गई हो.
परमार्थ उन छंदों की पुस्तकों पर अपने विचार साझा करते हैं जिन्हें संघरक्षितजी ने अपने जीवन भर अपने साथ रखा, जिसमें एक ऐसा पाठ भी शामिल है जो न केवल भारत में उनके शुरुआती वर्षों में बल्कि उनके पूरे जीवन में प्रेरणा, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हुआ.