क्रिसमस हम्फ्रीज़ का पत्र दिनांक 24/10/1974
'क्रिसमस हम्फ्रीज़ के बारे में मैने भविष्यवाणी की थी, कि समय मिलने पर वह अपनी स्थिति की मूर्खता को समझ जाएगाऔर अपना रुख बदल लेगा. उसे सच होने में ज़्यादा समय नहीं लगा. ... 1970 के दशक की शुरुआत में मैं एक बार फिर उनकी अध्यक्षता में एक्लेस्टन स्क्वेयर में बौद्ध सोसाइटी के परिसर में व्याख्यान दे रहा था. अपने जीवन के अंतिम पाँच या छह वर्षों के दौरान टोबी और मैं नियमित रूप से मिलते थे और उन्होंने मुझे एक से अधिक अवसरों पर आश्वासन दिया कि वह हमेशा मेरे सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं. 1978 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा "बोथ साइड्स ऑफ़ द सर्कल" (“Both Sides of the Circle”) में, उन्होंने मेरे और पश्चिमी बौद्ध संघ के बारे में बहुत प्रशंसात्मक शब्दों में बात की, जिसको, उन्होंने कहा कि वे अपना पूरा समर्थन देते है.'
Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), p.439
भलेही दूसरों के लिए न हो, मै अपने ही लिए रहस्य हूं. इसका कारण कुछ मात्रा में यह है कि मै बडा जटिल इन्सान हूं. मैं भले ही अपने लिए ही रहस्य हूं, लेकिन इतने सिरे तक नहीं कि अपने स्वयं के बारे में मैंने कई सारी भ्रामक प्रतिमाएं खुद ही बना रखी हो. इनमें से एक भ्रामक प्रतिमा मैंने अपने लिए कभी नहीं बनाई कि मैं, दुनिया में, इस नए बौद्ध आंदोलन को ब्रिटेन में स्थापित करने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति था.
उसके लिए आवश्यक ऐसी बहुत ही कम क्षमताएं मेरे अंदर थी. ढेरों असुविधाओं से मुझे गुजरना पड़ा. शुरुआत के दिनों की ओर जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं और याद करता हूं, ……….यह सोचने से मैं अपने आप को नहीं रोक सकता की त्रिरत्न बौद्ध संघ का अस्तित्व में आना किसी जादू से कम नही था.
‘......जब मैं देखता हूं कि संघ अपनी स्पष्ट खामियों के बावजूद कितनी महान और गौरवशाली उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है, मुझे यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि मैं इसका संस्थापक हूँ.
‘...मैंने पश्चिमी बौद्ध संघ की स्थापना की भारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने की बात कही थी. मैंने वास्तव में यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी और यह वास्तव में एक भारी जिम्मेदारी थी.
‘फिर भी, कई बार ऐसा लगता है कि मैने जिम्मेदारी लेने की बजाय उस जिम्मेदारी ने मुझे अपने ऊपर ले लिया था. ऐसे कुछ पल थे जब मुझे उस विशाल, अपनी छाया से ढक देनेवाली चेतना का धुंधलासा एहसास हुआ था, जिसने मेरे माध्यम से संघ की स्थापना की और हमारे पूरे आंदोलन को गति प्रदान की.
Sangharakshita, My Relation to the Order, (CW23), pp.530-1
संघरक्षितजी के लेखन के उद्धरण उनके संस्मरणों और अन्य पुस्तकों से लिए गए हैं. यह सभी संघरक्षितजी के संपूर्ण कार्यों (Complete Works) में शामिल हैं. संदर्भ में खंड संख्या इस प्रकार दी गई है: CW2. सभी खंड विंडहॉर्स प्रकाशन से हार्डबैक, सॉफ्टबैक और ई-बुक के रूप में उपलब्ध हैं.
टेरी डेलामारे द्वारा संघरक्षितजी का व्यक्तिचित्र
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