येल विश्वविद्यालय से पत्र 15/2/1970

जनवरी में संघरक्षितजी ने अमेरिका की अपनी पहली यात्रा की

‘ईस्टर की छुट्टियों के दो सप्ताह को छोड़कर, जिसके लिए मैं ईस्टर शिविर आयोजित करने के लिए इंग्लैंड वापस गया था, मैंने येल में तीन महीने बिताए. इस दौरान दर्शनशास्त्र में विजिटिंग लेक्चरर के रूप में मेरी आधिकारिक क्षमता में मुझसे यही अपेक्षा की गई थी कि मैं सप्ताह में एक बार दो घंटे पढ़ाऊँ, अन्यथा मैं सेमिनार का आयोजन कैसे करूँ, यह पूरी तरह से मेरे विवेक पर छोड़ दिया गया था.’

Sangharakshita, Moving Against the Stream, (CW23), pp.453-4

नागबोधि लिखते हैं: ‘युवा लोगों के उत्साह और ऊर्जा ने उन्हें प्रसन्न और ऊर्जावान बना दिया था. व्याख्यान के बाद की चर्चाएँ समय सारिणी के अनुसार दोगुनी देर तक चलती थीं. उन्होंने ध्यान कक्षाएं और "संवाद अभ्यास" बाहर चलाए, जिनमें अच्छी संख्या में लोग शामिल हुए और लोगों ने जिस तरह से पूरे दिल से उन्हें अपनाया, वे आश्चर्यजनक रूप से सफल रहे.'

The Boy, The Monk, The Man, p.208

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